ग्यारह रूपये का सुकून
जयेशजी सेवानिवृत्ती तदुपरान्त अपने पैतृक शहर वाले घर में पत्नी सहित शेष जीवन शांती से गुजारने आ गये। न्यायाधीश जैसे महत्वपूर्ण पद पर रहने के बाद भी अभिमान, रुतबा, रिश्वत और साहब जैसे फितूरों से कोसों दूर थे। किसी बड़े शहर के नामी गिरामी मेडिकल सेन्टर पर वर्ष में एक बार पूरा हेल्थ चेक अप करवाते। वहाँ उनके बहू बेटे से भी मिलना हो जाता था। एक रात वही रूकते भी थे। एक बार कोई घटना जरूर ऐसी हुई थी जिसकी वजह से गहरे सागर जैसे शांत स्वभाव वाले जयेशजी थोड़े विचलित नजर आये। हुआ यूँ कि इस वर्ष के पूरे हेल्थ चेक अप की रिपोर्टों में एक रिपोर्ट असामान्य आई । मेडिकल सेन्टर के कनिष्ठ चिकित्सक ने गंभीर मुदा में जयेशजी को असामान्य रिपोर्ट (जाँच परिणाम ) के बारे में बताया कम डराया ज्यादा। जयेशजी के पुत्र ने मोहवश मसले की गंभीरता को समझते हुए कनिष्ठ चिकित्सक से आगामी परीक्षणों-उपचार आदि के बारे कई विशेषज्ञ के नाम पते भी ले लिये। जयेशजी ने पुत्र को समझाया भी उन्हें ऐसी कोई परेशानी है ही नहीं जैसा मशीनी जाँच की असामान्य रिपोर्ट में है। वरिष्ठ चिकित्सक के आने के पूर्व कनिष्ठ चिकित्सकजी किसी तरह वहाँ से खिसक गये। वरिष्ठ चिकित्सकजी ने आते ही सभी रिपोर्टों को सामान्य बताकर संतोष जाहिर किया और दवाईयाँ लिख दी। लेकिन जयेशजी के पुत्र ने डॉक्टर साहब से उस असामान्य रिपोर्ट के बारे में चिन्ता जताई। वरिष्ठ डॉक्टर साहब ने साफ मना कर दिया कि कहीं भी किसी नामी गिरामी डॉक्टरों के चक्कर में पड़ने की जरूरत नहीं है क्योंकि पचासों परीक्षणों में सभी सभी पैमाने (पेरामीर्टस) आदर्श (आईडल ) हो ऐसा कतई जरूरी नहीं हैं। जयेशजी की पत्नी व बहू तक यह खबर उनके पुत्र ने दे दी थी। सभी का आग्रह था कि पूरी तरह से निशचिन्त होकर ही घर आवें अतः एक ओपीनियन और ले ली जाय तो कैसा रहेगा। अंततः वरिष्ठ चिकित्सक ने एक अन्य विशेषज्ञ का नाम पता लिख दिया और नम्रता से कहा कि आपकी एक रिपोर्ट जो मशीन द्वारा की गई है और कुछ असामान्य इंगित करती है इनसे क्रिटीकली चेक करवा लेवे। पुत्र ने शीघ्र ही अन्य विशेषज्ञ से निवेदन करके स्थिति समझा कर उसी दिन शाम का अपाईन्टमेन्ट भी ले लिया। शाम को अन्य विशेषज्ञ जो उपकरणों के भी जानकार थे ने वरिष्ट चिकित्सकट द्वारा भेजे गये जयेशजी की रिपोर्ट का गंभीरता से पढ़ा। जयेशजी से कुछ सवाल किये और उन्हीं की क्लीनिक में अपनी मशीन से फिर से जाँच की। उन्होंने जयेशजी को समझाया कि चिकित्सा विज्ञान के सभी मानक (स्टेवर्ड) पैरामीटर्स आईडियल (आदर्श) को ही ऐसा नाही होता । व्यक्ति की आयु, अवस्था, वजन की वजह कुछ रिपोर्ट हट कर आती है अतः लक्षणों को मिलाकर ही चिकित्सा की जाती हैं। इन द्वितीय विशेषज्ञजी ने जयेशजी और उनके पुत्र को संतुष्ट करके बिदा किया। पुत्र-पुत्रवधू जयेशजी को लेकर गृहनगर आ गये। पत्नी की भी परेशानी कम हुई जब यह साफ हो गया कि मात्र एक रिपोर्ट असामान्य आने से और कनिष्ठ चिकित्सक द्वारा अनावश्यक चिन्ता जताने से मामला परेशानी में बदल गया था अन्यथा कोई गंभीर बात थी ही नहीं।कुछ दिन बीतने के बाद एक दिन जयेशजी पत्नी से कह रहे थे कि उन जैसे शांत एवं गंभीर प्रकृति के व्यक्ति उस दिन कैसे विचलित हो गये थे। पत्नी ने हिम्मत देते हुए कहा कि मशीन तो मशीन होती है कोई भविष्यवक्ता तो नहीं पत्नी का यह कहना जयेशजी के लिए वरदान बन गया। उन्होंने एकान्त पाकर अपने पुराने ज्योतिषाचार्यजी को फोन लगाया, समय लिया और मिलने पहुँचे गये। जयेशजी ने विस्तार से आप बीती और मन की शंका के बारे में बता दिया। पंडित जी ने स्थिती भांप ली। जन्म पत्रिका का अध्ययन करके पंचाग देखकर शांत स्वर में जयेशजी से बोले की सिर्फ ग्रह खेल कर गये। अनावश्यक खर्चे के योग बने थे सो आपका समय और धन बर्बाद हुआ। मशीन को आदमी चलाता है, मशीन आदमी को नहीं, जयेशजी आप तो समझदार है, जीवन मूल्यवान है, इसे खुलकर जीये। पंडित जी ने जयेशजी को चिन्तामुक्त होकर जीने और आने वाले शुभसमय का इन्तजार करने का कह कर बिदा करा । जयेशजी ने आदत के अनुसार लिफाफे में रखे ग्यारह रूपये पंडितजी के पास रख दिये। पंडितजी बुदबुदाये, आयुष्मान भवः। जयेशजी ग्यारह रूपये के बदले में भारी सुकून लिए घर लौट रहे थे।
– डॉ. एच. एस. राठौर